अथोरिटी-वैबसाईट वह होती है, जो अपने सम्बंधित क्षेत्र में दबदबा रखती है। यदि किसी ने ब्लॉग लिखकर करोड़ों रुपए कमाए हैं, तो “ब्लॉग से करोड़पति कैसे बने” प्रकार के विषय पर उसकी वैबसाईट अथोरिटी-वैबसाईट कही जाएगी, न कि कोपी-पेस्ट करने वाले व्यक्ति की। इसी तरह, जिसको वास्तविक कुण्डलिनी-जागरण हुआ है, उसीकी कुण्डलिनी-वेबसाईट अथोरिटी वैबसाईट कही जाएगी। परन्तु होता यह है की उसकी वैबसाईट अन्य कुण्डलिनी-वेबसाईटों की बाढ़ के नीचे दब जाती है। वैसे अब गूगल इस बात का उचित संज्ञान ले रहा है, और अथोरिटी वैबसाईट को अधिक महत्त्व दे रहा है।
विजेटस को इस तरह से रिऑर्डर करना चाहिए कि सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण विजेट सबसे ऊपर हो, और सबसे कम महत्त्वपूर्ण सबसे नीचे। पर्सनल वैबसाईट में तो किसी भी प्रकार की पोस्ट को डाला जा सकता है, परन्तु प्रोफेशनल वैबसाईट में एक ही विषय होना चाहिए। ऐसा इसलिए है, क्योंकि पर्सनल वैबसाईट को शौक पूरा करने के लिए बनाया जाता है, पैसे या प्रसिद्धि कमाने के लिए नहीं।
जैसा कि मैंने पहले भी बताया है कि “टॉप पोस्ट” विजेट को इंस्टाल किया जा सकता है। इसकी कमी यह है कि यह केवल पिछले अंतिम 48-72 घंटों के ही वियूस को काऊंट करता है। यदि आल टाईम टॉप पोस्ट बनानी हो, तो ‘टेक्स्ट विजेट’ को एप्लाई करें। उसके टाईटल में “आल टाईम टॉप पोस्ट” आदि लिखें। उससे नीचे के बक्से में टेक्स्ट बटन सेलेक्ट करें। उसमें पोस्ट का नाम लिखें। फिर उस नाम को सेलेक्ट करके उसके ऊपर की बार के “लिंक” बटन को क्लिक करें। उससे निर्मित बोक्स में उस पोस्ट का यूआरएल एड्रेस डालें। इस तरह नीचे की तरफ को मनचाही संख्या में पोस्ट की लिस्ट भी बनाई जा सकती है, और उस लिस्ट को बुलेटिड लिस्ट या नंबरड लिस्ट का रूप भी दिया जा सकता है। इस तरह, टेक्स्ट विजेट से हम मनचाहे टेक्स्ट को व लिंक को साईडबार में डाल सकते हैं।
यह ध्यान रखें कि डबल साईडबार से मुख्य कंटेंट के लिए जगह कम हो सकती है, खासकर डेस्कटॉप पर। मुझे तो सिंगल साईडबार वाली थीम ही पसंद है।
पुराने टेक्स्ट को तोड़-मरोड़ कर लिखने को डाटा स्पिनिंग या डाटा स्क्रेपिंग या प्लैग्रिस्म कहते हैं। इसका यदि गूगल को पता चलता है, तो वह अवश्य पेनल्टी लगाता है। वास्तव में वह पेनल्टी भी नहीं होती। गूगल बोट केवल उसको रीड करना छोड़ देता है, जिससे वेबसाईट खुद डाऊन आ जाती है। कई कहते हैं कि बहुत अधिक परिवर्तित करके ही टेक्स्ट को पुनः लिखना चाहिए। परन्तु उससे कोई लाभ नहीं, क्योंकि उससे कम मेहनत में तो नया टेक्स्ट लिखा जा सकता है। अगर कोई अपने प्राईवेट चैट, जैसे ईमेल आदि से डाटा को कोपी-पेस्ट करे, तब तो संभवतः वह डुप्लीकेट कंटेंट नहीं होता। अगर आपने गलती से डुप्लीकेट कंटेंट वाला वेबपेज बनाया है, तो उसे हटाने की जरूरत नहीं। उसे आप प्राईवेट पेज बना लें। इससे वह इंटरनेट से हट जाएगा, और गूगल उसे नहीं देख पाएगा। यद्यपि वह पेज आपको हमेशा उपलब्ध रहेगा।
पूर्वोक्तानुसार, W (वैबसाईट) नामक मीनू बटन दबा कर जो ड्रॉपडाऊन लिस्ट खुलती है, उसमें “स्टैट” बटन भी होता है। उसको क्लिक करके वैबसाईट की परफोर्मेंस से सम्बंधित सभी सूचनाएं मिल जाती हैं। वे हैं, वियूज की संख्या, विजिटर्स की संख्या, लाईक्स की संख्या, कमेंट्स की संख्या, वियू किए गए पेजस और पोस्टस के बारे में सूचना आदि। वियूज में आर्चाईव्स / होम पेज भी आता है। यह कोई विशेष पोस्ट या पेज का वियू नहीं होता। वास्तव में, होमपेज के “आर्चाईव” नामक विजेट में महीनों के नामों की लिस्ट होती है। उनमें से किसी महीने के ऊपर क्लिक करने से उस महीने की सभी पोस्टें एक स्वयंनिर्मित व अस्थायी पेज पर खुलती हैं। एक महीने के नाम पर क्लिक करने से आर्चाईव / होमपेज के नाम से एक वियू जुड़ जाता है। इसका अर्थ है कि कोई विजिटर होमपेज पर था, जब उसने आर्चाईव के किसी महीने के ऊपर क्लिक किया। यदि कोई उस महीने की किसी विशेष पोस्ट पर क्लिक करके उसे अपने मूल रूप में खोले, तभी उस विशेष पोस्ट के नाम से एक पेज वियू जुड़ेगा, अन्यथा नहीं। इसी तरह, होमपेज के केटेगरी विजेट के साथ भी यही होता है। पोस्ट के नीचे जो टैग होते हैं, उनमें से किसी एक पर क्लिक करने से उस टैग से सम्बंधित सभी पोस्टें उपरोक्त प्रकार के अस्थायी पेज पर खुल जाती हैं। बाकि की प्रक्रिया समान ही है।
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One thought on “वेबसाईट का निर्माण, प्रबंधन व विकास; भाग-10 (विजेट, डाटा-चोरी, स्टेट्स)”