कुंडलिनी ही एक अधिकारी को सच्चा अधिकारी बनाती है

दोस्तों, अधिकारी मुझे बचपन से ही अच्छे लगते हैं। मुझे उनमें एक देवता का रूप नजर आता था। उनमें मुझे एक अपनेपन और सुरक्षा की भावना नजर आती थी। बदले में, अधिकारियों का भी मेरे प्रति एक विशेष प्रेम होता था। अधिकारी का जीवन जीते हुए अब मुझे यह समझ आ रहा है कि ऐसा क्यों होता था। 

अधिकारी देवता की तरह अद्वैतशील होते हैं

एक अधिकारी काम करते हुए भी कुछ काम नहीं करता। तभी तो कहा जाता है कि अधिकारी कुछ काम नहीं करते। वास्तव में एक अधिकारी सभी काम अद्वैत के साथ करता है।अद्वैत के साथ किया गया काम काम नहीं रह जाता। वही औरों से काम करवा सकता है, जो खुद न तो काम करता है, औऱ न ही निकम्मा रहता है। यह ऐसे ही है जैसे कि पानी की मझदार में न फंसा हुआ व्यक्ति ही पानी में फंसे हुए दूसरे व्यक्ति को पानी से बाहर निकाल सकता है। औरों से काम करवाना भी एक काम ही है। अद्वैत के साथ रहने से एक अधिकारी के काम न तो काम बने रहते हैं, और न ही निकम्मापन। एक प्रकार से उसके सारे काम काम की परिभाषा से बाहर हो जाते हैं। यदि अधिकारी खाली बैठा रहे, तो वह निकम्मा कहलाएगा। निकम्मापन भी काम के ही दायरे में आता है, क्योंकि काम और निकम्मापन दोनों एक-दूसरे के सापेक्ष हैं, और एक-दूसरे से शक्ति प्राप्त करते हैं। इसलिए काम के दायरे से बाहर होने के लिए यह जरूरी है कि वह अद्वैत के साथ लगातार काम करता रहे। क्योंकि अद्वैत और कुंडलिनी हमेशा साथ रहते हैं, इसलिए प्रत्यक्ष तौर पर भी कुंडलिनी का सहारा लिया जा सकता है। तभी वह अपने अधीनस्थ लोगों से उत्तम श्रेणी का भरपूर काम ले सकता है।

देवताओं के सर्वोच्च अधिकारी भगवान गणपति भी अद्वैत की साक्षात मूर्ति हैं

भगवान गणेश जी को गणनायक, गणपति, गणनाथ, विघ्नेश आदि नामों से भी जाना जाता है। ये सभी नाम नेतृत्व के हैं। इसीलिए वे सभी देवताओं से पहले पूजे जाते हैं। शास्त्रों ने उन्हें विशेष रूप दिया है। उनका मुँह वाला भाग एक हाथी का है, और बाकी शरीर एक मनुष्य का है। यह रूप अद्वैत का परिचायक है। यह सुंदरता और कुरूपता के बीच के अद्वैत को इंगित करता है। यह उस शक्तिशाली अद्वैत को दर्शाने का एक प्रयास है, जो जानवर और मनुष्य के सहयोग से पैदा होता है। हाथी स्वयं भी अद्वैत भाव का परिचायक होता है। उसमें एक अद्वैतशील संत के जैसी मस्ती और बेफिक्री होती है। हाथी कामभाव व उससे संबंधित मूलाधार चक्र का भी परिचायक है, जो एक नायक या नेता के जैसे सबसे महत्त्वपूर्ण और सर्वप्रथम स्थान पर आता है।

एक सच्चे अधिकारी और कुंडलिनी योगी के बीच समानता

दोनों ही प्रकार के लोग अद्वैतशील होते हैं। दोनों में ही अनासक्ति होती है। दोनों ही हर समय आनन्दित और हंसमुख रहते हैं। इससे यह भी सिद्ध होता है कि कुंडलिनी योग से अधिकारी में निपुणता की कमी पूरी हो सकती है। इसलिए एक अधिकारी को कुण्डलिनी योग जरूर करना चाहिए। प्रेम प्रसंग से भी कुंडलिनी/अद्वैत का विकास होता है। तभी आपने देखा होगा कि अधिकांश अधिकारी वर्ग के लोग इश्क-मोहब्बत के कुछ ज्यादा ही दीवाने होते हैं।

एक अधिकारी के लिए “शरीरविज्ञान दर्शन” जैसे अद्वैत दर्शन की अहमियत

हिन्दू शास्त्र और पुराण अद्वैत की भावना का विकास करते हैं। इसलिए एक अधिकारी को प्रतिदिन उन्हें पढ़ना चाहिए। इसी कड़ी में प्रेमयोगी वज्र ने “शरीरविज्ञान दर्शन” नामक पुस्तक की रचना की है। उसे लोग आधुनिक पुराण भी कहते हैं, क्योंकि वह पूरी तरह से वैज्ञानिक है। कम से कम उसे पढ़ने में तो संकोच नहीं होना चाहिए। 

अद्वैत से ही काम करने की प्रेरणा मिलती है

यह आमतौर पर देखा जाता है कि अद्वैतशील आदमी के काम के आनंद और मस्ती को देखकर बाकी लोग भी काम करने लग जाते हैं। यदि कभी काम के लिए बोलना भी पड़ जाए तो वह इतनी मित्रता व प्यार से होता है कि वह आदेश प्रतीत नहीं होता। एक प्रकार से वह बोलना भी न बोलने के बराबर ही हो जाता है। असली अधिकारी का गुण भी यही है कि उसके संपर्क में आते ही लोग खुद ही अच्छे ढंग से काम करने लग जाते हैं। लोगों में अपनी अलग ही विकास की सोच पैदा हो जाती है। लोग अपने काम से आनन्दित और हँसमुख होने लगते हैं। यदि काम करवाने के लिए अधिकारी को बोलना पड़े या आदेश देना पड़े, तो इसका मतलब है कि अधिकारी के अद्वैतशील व्यवहार में कमी है। वास्तव में अधिकारी बोलते हुए भी नहीं बोलते, और आदेश देते हुए भी आदेश नहीं देते। सच्चे अधिकारी गजब के कलाकार होते हैं।

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demystifyingkundalini by Premyogi vajra- प्रेमयोगी वज्र-कृत कुण्डलिनी-रहस्योद्घाटन

I am as natural as air and water. I take in hand whatever is there to work hard and make a merry. I am fond of Yoga, Tantra, Music and Cinema. मैं हवा और पानी की तरह प्राकृतिक हूं। मैं कड़ी मेहनत करने और रंगरलियाँ मनाने के लिए जो कुछ भी काम देखता हूँ, उसे हाथ में ले लेता हूं। मुझे योग, तंत्र, संगीत और सिनेमा का शौक है।

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