The non dual, tantric, Kundalini yoga technique (the real meditation) including Patanjali Yogsutras, Kundalini awakening, spiritual Enlightenment (self-realization), and spiritual liberation explained, verified, clarified, simplified, justified, taught, guided, defined, displayed, summarized, and proved in experiential, exhilarating, story like, biography like, philosophical, practical, humanely, scientific, and logical ways altogether best over- अद्वैतपूर्ण, तांत्रिक, कुंडलिनी योग तकनीक (असली ध्यान) सहित पतंजलि योगसूत्र, कुण्डलिनीजागरण, आत्मज्ञान और अध्यात्मिक मोक्ष को एक अनुभवपूर्ण, रोमांचक, कथामय, जीवनचरित्रमय, दार्शनिक, व्यावहारिक, मानवीय, वैज्ञानिक और तार्किक तरीके से; सबसे अच्छे रूप में समझने योग्य, सत्यापित, स्पष्टीकृत, सरलीकृत, औचित्यीकृत, सीखने योग्य, निर्देशित, परिभाषित, प्रदर्शित, संक्षिप्त, और प्रमाणित किया गया है
स्कूल चले हम
घर को चले हम, घर को चले हम स्कूल से अपने घर को चले हम। को-रो-ना से डर हरदम अपने-अपने घर चले हम।। घर को चले हम, घर को चले हम स्कूल से अपने-घर को चले हम।
खेल नहीं अब सकते हम स्कू-ल के मैदान में। कूद नहीं अब सकते हम खेलों के जहान में।। अब तो मजे करेंगे हम खेत पर खलिहान में। बूढ़ी अम्मा के संग-संग बतियाएंगे हम हरदम।। घर को चले हम, घर को चले हम स्कूल से अपने घर को चले हम। को-रो-ना से डर हरदम अपने-अपने घर चले हम।। घर को चले हम, घर को चले हम स्कूल से अपने-घर को चले हम।
ऑनलाइन से पढ़ेंगे हम ऑलराउंडर बनेंगे हम। फालतू मीडिया छोड़कर नॉलेज ही चुनेंगे हम।। घर में योग करेंगे हम इंडोर खेल करेंगे हम। प्रातः जल्दी उठ करके वॉकिंग भी करेंगे हम।। घर को चले हम, घर को चले हम स्कूल से अपने घर को चले हम। को-रो-ना से डर हरदम अपने-अपने घर चले हम।। घर को चले हम, घर को चले हम स्कूल से अपने-घर को चले हम।
स्कूल तो अपने जाएंगे वैक्सी-नेशन के बाद। फिर तो हम हो जाएंगे जेल से जैसे हों आजाद।। फिर तो नहीं करेंगे हम व्यर्थ समय यूँ ही बरबाद। पढ़-लिख कर व खेल कर हम होंगे बड़े आबाद।। शिक्षार्थ स्कूल जाएं हम सेवार्थ हो आएं हरदम। स्कूल का नाम रौशन करके देश को रौशन करदें हम।। स्कूल चले हम, स्कूल चले हम घर से अपने- स्कूल चले हम। हरा के उस को-रो-ना को अपने-अपने स्कूल चले हम।। स्कूल चले हम, स्कूल चले हम घर से अपने-स्कूल चले हम।
बीच का बंदर खेलेंगे स्टप्पू भी अब खेलेंगे। लुक्का-छुप्पी खेलेंगे चोर-सिपाही खेलेंगे।। इक-दूजे संग दौड़ें हम प्रेम के धागे जोड़ें हम। मिलजुल रहना सीखें हम कदम से सबके मिला कदम।। स्कूल चले हम, स्कूल चले हम घर से अपने-स्कूल चले हम। हरा के उस को-रो-ना को अपने-अपने स्कूल चले हम।। स्कूल चले हम, स्कूल चले हम घर से अपने-स्कूल चले हम। -हृदयेश बाल
बहुत सुन्दर
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जी धन्यवाद। दिल से निकली आवाज थी जो।कविता बन कर कागज पर छा गई
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