जहाँ भी देखो वहीं दक्ष हैं।
अहंकार से भरे हुए
अपने-अपने पक्ष हैं।
कोई याग-यज्ञ में डूबा
कोई दुनिया का अजूबा।
कोई बिजनेसमेन बना है
हड़प के बैठा पूरा सूबा।
एक नहीँ धंधे लक्ष हैं
जहां भी देखो वहीँ दक्ष हैं।
अहंकार से भरे हुए
अपने-अपने पक्ष हैं।
कर्म-मार्ग में रचे-पचे हैं
राग-रागिनी खूब मचे हैं।
नाम-निशान नहीं है सती का
शिव भी उस बिन नहीं जचे हैं।
अंधियारे से भरे कक्ष हैं
जहां भी देखो वहीँ दक्ष हैं।
अहंकार से भरे हुए
अपने-अपने पक्ष हैं।
ढोंग दिखावा अंतहीन है
मन की निष्ठा अति महीन है।
फल पीछे लट्टू हो रहते
फलदाता को झूठा कहते।
चमकाते बस नयन नक्श हैं
जहां भी देखो वहीँ दक्ष हैं।
अहंकार से भरे हुए
अपने-अपने पक्ष हैं।
प्रेम-घृणा का झूला झूले
दर्शन वेद पुराण का भूले।
बाहु-बली नहीं कोई भी
नभ के पार जो उसको छू ले।
शिवप्रकोप से न सरक्ष हैं
जहाँ भी देखो वहीँ दक्ष हैं।
अहंकार से भरे हुए
अपने-अपने पक्ष हैं।
~भीष्म🙏
Photo by Plato Terentev from Pexels
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