दोस्तो , “पिहरवा अजहु ना आए” नामक राग मेघ को ही देख लें। इसमें स्त्री पति के लौटने की आस में है। वह कहती है कि डर लग रहा है। काले बादल घिर गए हैं, बिजली चमक रही है। बारिश की बूंदें भी गिरने लगी हैं। पति परदेस में बस गए हैं, जो अभी तक नहीं आए हैं। यह आध्यात्मिक आख्यान ही है, भौतिक नहीं। पत्नि यहां आत्मा है, पति परमात्मा हैं। परमात्मा बहुत दूर मतलब विदेश में हैं। कभी दोनों साथ थे, पर कालांतर में अलग हो गए। काले बादल मतलब अज्ञान का अंधकार डरावना लग रहा है। बिजली चमक रही है, मतलब दुखी करने वाले काम, क्रोध जैसे दोषपूर्ण व भड़कीले विचार मन में दौड़ रहे हैं। जैसे बिजली आदमी को मार सकती है, वैसे ही अनसुलझी वासना भी। मतलब वह वासना आदमी का पुनर्जन्म करवा सकती है। और यह तो अपने आप स्पष्ट ही है कि किसी जीव का पुनर्जन्म तभी होगा जब पहले वह मरेगा। बारिश की बूंदें गिरने लग गई हैं, मतलब दुख के कारण आंखों से अश्रु भी गिरने लग गए हैं।
यह जीवात्मा की असली गति व तस्वीर है, जिसे राग में दर्शाया गया है। यह वैज्ञानिक तथ्य ही है, कोई कपोल कल्पना नहीं। यह आध्यात्मिक मनोविज्ञान है। यह भौतिक जीवन से भी मिलता जुलता है। असल में भी घर के मुखिया के घर पहुंचने से चारों ओर प्रकाश सा छा जाता है। निराशा, दुख, अभाव आदि अंधकारपूर्ण दोष कुछ देर के लिए गायब से हो जाते हैं। मतलब राग द्विअर्थी होते हैं। इन्हें बनाने और गाने वाले भी संतों से कमतर नहीं होते होंगे। कुंडलिनी योगी भी इसी तर्ज पर मन में गुरु, देवता आदि का चित्र मजबूत करते हैं, जो पति के घर आने की आस की तरह ही है। याद करते-करते वह कुंडलिनी जागरण के रूप में घर आ भी जाते हैं। आगे फिर कुंडलिनी योगी पर निर्भर करता है कि वह नियमित साधना से उन्हें घर में बांधकर रख पाता है या अनियंत्रित आचरण से उन्हें पुनः दूर परदेस चले जाने का मौका दे देता है।
इसी तरह “आजहुं न आए पिया, आली (सखी) मोरी, वो न आए, तुम/पिया बिन रैना न कटत, पिया बिन रैन निहारूं, आजहुं न आए पिया”। यह राग खयाल में है, अदरिजा बसु ने गाया है। यह राग लगभग पौने घंटे का है, और पूरे राग में उतार चढ़ाव के साथ लगभग यही बोल चलते हैं। अंत के पांच दस मिनट में शिव स्तुति के “सललल हिलत/किलत गंगा, जटाजूट व्याल (सर्प)” जैसे कुछ बोल भी हैं। इससे भी सिद्ध होता है कि एक ही कुंडलिनी योग की थीम पर ही ज्यादातर राग चलते हैं। बहुत सुंदर राग गाया है। एक ही सांस को लंबा खींचने की और उससे बंधे सुर को गहरे उतार चढ़ाव देने की भरपूर कोशिश की गई है इसमें।