कुंडलिनी योग की सहायक हरित ऊर्जा

दोस्तों, जीवाश्म ईंधन के अंधाधुंध इस्तेमाल से धरती का जीवन संकट में आ गया है। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। धरती लगातार गर्म हो रही है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं। सुंदर समुद्रतटीय प्रदेशों के निकट भविष्य में पूरी तरह से जलमग्न होने के आसार बन गए हैं। वातावरण में कार्बनडाइऑक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा बहुत बढ़ गई है और लगातार बढ़ ही रही है। इससे मौसम भी बदल गया है। बारिश के मौसम में सूखा पड़ रहा है और सूखे के समय बारिश हो रही है। इससे जन, धन, अन्न समेत सभी वस्तुओं को भारी क्षति पहुंच रही है। किसान बदहाल हो रहे हैं। उनकी खड़ी, पकी और काटी गई फसल भारी बारिश की भेंट चढ़ रही है। अत्यधिक वर्षा से भारी भूस्खलन हो रहे हैं। मौसम और प्रकृति क्रोधित जैसे लग रहे हैं और एकदम से कहर बनकर बरस जाते हैं। भयंकर बाढ़ें, आंधी और तूफान आ रहे हैं। प्लास्टिक के कचरे से निकास नालियों के अवरुद्ध होने से गंदा पानी गलियों में भरकर बीमारियां पैदा कर रहा है। शहरों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और गांव खाली होते जा रहे हैं। औद्योगिक शोरगुल से दूर शांतिपूर्ण एकांत मिलना लोगों के लिए दुष्कर्म हो गया है।

इन सभी समस्याओं का हल मुझे हरित ऊर्जा में दिखता है। सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा हरित ऊर्जा के सर्वोत्तम स्रोत हैं। अगर सभी घरों की छतों पर सौर पैनल और पवन चक्की लग जाएं तो घरों की सारी बिजली की जरूरत तो पूरी होगी ही, साथ में उद्योगों के लिए और बहुमंजिला इमारतों के लिए भी अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति की जा सकती है। तकनीक के विकसित होने से अब तो सौर विद्युत जीवाश्म स्रोतों से निर्मित विद्युत से भी सस्ती हो गई है। इसकी एक वजह यह भी है कि सौर विद्युत को जरूरत वाली जगह पर ही बनाया जा सकता है। इससे ट्रांसमिशन लॉस पर भी रोक लगती है। मेटलर्जी जैसे क्षेत्रों में बहुत ज्यादा ताप ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। वहां के लिए डायरेक्ट सोलर थर्मल प्लांट का उपयोग किया जा सकता है। उसमें सौर ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित ना होकर सीधी ताप ऊर्जा में बदल जाती है। इससे सौर ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा और विद्युत ऊर्जा से ताप ऊर्जा में रूपांतरण के दौरान होने वाली ऊर्जा की क्षति रुकती है।

अब तो विद्युत भंडारित करने के लिए बढ़िया से बढ़िया बैटरीयां बन रही है। लिथियम आयन बैटरी लेड एसिड बैटरी से ज्यादा कार्यक्षम और सुविधापूर्ण है। पर धरती से लिथियम निकालते समय भी पर्यावरण को खनन आदि के रूप में भारी क्षति पहुंचती है। फिर इसका वेस्ट भी हानिकारक होता है। सोडियम आयन बैटरी का भी जोरों से विकास हो रहा है। आने वाले समय में यह सबसे अधिक पर्यावरण हितैषी बैटरी बन सकती है। ग्रीन हाइड्रोजन पर भी काम चल रहा है, पर उसकी सुरक्षा समस्या और भंडारण समस्या, ये दो मुख्य समस्याएं हैं। इनका हल भी खोजा जा रहा है। ग्रीन एनर्जी की सहायता से तैयार एथनॉल आदि बायोफ्यूल को भी विकसित किया जा रहा है। इससे भी नेट कार्बन एमिशन रुकेगा।

इन्हीं सब वजहों से आजकल ग्रीन एनर्जी के स्टोक्स उछाल पर हैं क्योंकि लोगों को इनमें भविष्य में बढ़ोतरी की उम्मीद दिख रही है। ग्रीन एनर्जी का दौर तो आएगा ही, समय कम ज्यादा हो सकता है। ग्रीन एनर्जी को सपोर्ट करना वैसे तो सबका दायित्व है पर फिर भी आदमी को अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार ही फैसला लेना चाहिए, और वित्तीय विशेषज्ञ की सलाह भी लेनी चाहिए।

ग्रीन एनर्जी को अपनाने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि लोगों की आदतों में सुधार आएगा। इससे लोगों की सोच सकारात्मक बनेगी। इससे लोग पर्यावरण हितैषी जीवनशैली अपनाने लगेंगे। ऐसी जीवनशैली योगयुक्त जीवनशैली ही होती है। क्योंकि अति सक्रियता से पर्यावरण को हानि पहुंचती है, इसलिए लोग इस पर रोक लगाएंगे। क्योंकि अति सक्रियता से योग को अर्थात आत्मा को भी हानि पहुंचती है, इसलिए इस पर रोक लगने से आत्मा या योग को भी लाभ मिलेगा। आत्मा और योग पर्यायवाची जैसे शब्द हैं। योग से आत्मा विकसित होती है और आत्मा के विकसित होने से योग विकसित होता है। इससे आदमी न्यूनतावाद को अपनाकर कम से कम पर्यावरण नाशक संसाधनों से अपना गुजारा चलाएगा। साथ में, घर पर ही हरित ऊर्जा पैदा होने से आदमी को भीड़भाड़ वाले ऊर्जा सघन क्षेत्रों में रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे शहरों का बोझ कम होगा। आदमी एकांत में रहकर अपनी जरूरत की सारी ऊर्जा कुदरती तरीके से तैयार कर लेगा। उस से जल को जमीन से निकाला जा सकेगा। उससे किचन गार्डनिंग हो सकेगी। वह अपने वाहन को हरित ऊर्जा से चार्ज करके जरूरत के सामान की आवाजाही कर पाएगा। सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से उसका मन भी साफ रहेगा। इससे और एकांत के प्रभाव से खुद ही उसका कुंडलिनी योग के प्रति रुझान बढ़ जाएगा। जब योग से उसकी आत्मा काफी निर्मल हो जाएगी, तब ऐसा समय भी आएगा जब उसे कुदरती चीजों का इस्तेमाल ही पसंद आएगा। उदाहरण के लिए बिजली के बल्ब की जगह उसे कुदरती तेल का दिया ही अच्छा लगेगा, क्योंकि यह इतना अधिक प्राकृतिक है जितना आत्मा को खुशी से उत्तेजित करने के लिए काफी है। गाड़ी वगैरह की बजाय उसे साइकिल से या पैदल चलना ही ज्यादा अच्छा लगेगा। फिर एक प्रकार से हरित योग योग युग में रूपांतरित हो जाएगा।

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demystifyingkundalini by Premyogi vajra- प्रेमयोगी वज्र-कृत कुण्डलिनी-रहस्योद्घाटन

I am as natural as air and water. I take in hand whatever is there to work hard and make a merry. I am fond of Yoga, Tantra, Music and Cinema. मैं हवा और पानी की तरह प्राकृतिक हूं। मैं कड़ी मेहनत करने और रंगरलियाँ मनाने के लिए जो कुछ भी काम देखता हूँ, उसे हाथ में ले लेता हूं। मुझे योग, तंत्र, संगीत और सिनेमा का शौक है।

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