कूटस्थ के माध्यम से सीधी जागृति: मेरा अनुभव

बहुत लोग कहते हैं कि चक्रों और रीढ़ की साधना जरूरी है, लेकिन क्रिया योग गुरु मुखर्जी की बात मुझे गहराई से छू गई—केवल कूटस्थ (आज्ञा चक्र) पर ध्यान लगाने से ही मुक्ति मिलती है। उनका मानना था कि चक्रों पर ध्यान लगाने से अनगिनत जन्म भी व्यर्थ जा सकते हैं। अब मुझे समझ आ गया कि ऐसा क्यों है।

शुरुआत से ही मैंने तंत्र के सहारे ऊर्जा को सीधे कूटस्थ में प्रवाहित किया। या यूं कहो, सीधा मस्तिष्क में ध्यान किया। चक्रों का मुझे उस समय विशेष ज्ञान और अनुभव नहीं था। जागृति के बाद ही चक्रों पर थोड़ा ध्यान देना शुरु किया, लेकिन ऊर्जा को वहाँ रुकने नहीं दिया। इसका परिणाम हुआ—तेज़ जागृति। जहाँ पारंपरिक तरीके धीरे-धीरे ऊर्जा को ऊपर उठाते हैं, मेरा तरीका सीधे लक्ष्य तक पहुँच गया। जब ऊर्जा चक्रों या रीढ़ में नहीं उलझी, तो जागृति तुरंत हुई।

लेकिन इसके साथ एक नई चुनौती आई—संतुलन बनाए रखना। मैं उस समय दुनियादारी से विरक्त सा हो गया था, गहरे और भारी काम मस्तिष्क में आनंद के साथ ध्यान चित्र को भड़का देते थे। उससे मस्तिष्क में दबाव बढ़ जाता था बेशक आनंद भी। हालांकि मुझे उसे काबू में करने के लिए वाममार्गी तंत्र (खासकर यिन यांग रूप वाला) से बहुत सहायता मिलती थी। अब ऊर्जा स्वतः ऊपर-नीचे चलती है, लेकिन स्थिर रहना ज़रूरी है। इसके लिए मैं रोज़ चक्र ध्यान करता हूँ। हर चक्र पर श्वास रोकता हूँ, उसके रंग, अनाज, बीज मंत्र और ध्यान चित्र के रूप में देवता की कल्पना करता हूँ, और ऊपर से नीचे की ओर बढ़ता हूँ। बिना तंत्र के, स्थिर होने में थोड़ा समय लगता है, लेकिन तंत्र से यह तुरंत हो जाता है।

बहुत सी ग्राउंडिंग तकनीकों के बारे में सुना, पर ज़रूरत नहीं पड़ी। मेरे लिए तंत्र और चक्र ध्यान ही पर्याप्त हैं। इस सीधी पद्धति ने मेरे लिए काम किया। असली रहस्य यह है—जागृति तभी होती है जब ऊर्जा पूरी तरह कूटस्थ में स्थिर हो जाए, अन्यत्र बिखरने न पाए।

अगर मुक्ति की सीधी राह चाहिए—कूटस्थ पर ध्यान दो, संतुलन के लिए चक्र ध्यान अपनाओ, और ज़रूरत पड़ने पर तंत्र का सहारा लो। जब राह सरल हो, तो उसे उलझाने की ज़रूरत नहीं।

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demystifyingkundalini by Premyogi vajra- प्रेमयोगी वज्र-कृत कुण्डलिनी-रहस्योद्घाटन

I am as natural as air and water. I take in hand whatever is there to work hard and make a merry. I am fond of Yoga, Tantra, Music and Cinema. मैं हवा और पानी की तरह प्राकृतिक हूं। मैं कड़ी मेहनत करने और रंगरलियाँ मनाने के लिए जो कुछ भी काम देखता हूँ, उसे हाथ में ले लेता हूं। मुझे योग, तंत्र, संगीत और सिनेमा का शौक है।

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