कुंडलिनी योग से क्या आसमान में उड़ा जा सकता है?

दोस्तों, पुराणों में बहुत सी बातें भौतिक रूप में सच नहीं प्रतीत होती हैं, पर वे लोगों को लाभ प्रदान करती हैं, मतलब उन्हें अध्यात्म के मार्ग पर आगे बढ़ाती हैं। बेशक इस दुष्प्रभाव के साथ कि वे भौतिक रूप से हानिकारक भी हो सकती हैं। मेरी बात का प्रमाण यह है कि शास्त्रों ने खुद बोला है कि सच बोलो पर कड़वा सच ना बोलो मतलब साफ है कि जो बात लोगों के जीवन में मिठास अर्थात आध्यात्मिक विकास लाए, पर बेशक झूठ जैसा हो या द्विअर्थी, उसे बोल दो। उदाहरण के लिए शास्त्रों में जो कहीं कहीं पर स्त्रियों के दोषों का वर्णन है, वह इसीलिए ताकि स्त्रियों के प्रति ज्यादा काम भावना या लस्ट न रहे, जैसा अकसर होता है, क्योंकि अति हर जगह खराब होती है। ऐसे ही एक कथानक में एक बदचरित्र और देह व्यापार में रत एक स्त्री श्री नारद के पूछने पर उनको बताती है। वह स्त्री की निर्लज्जता का बखान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती जिससे नारद के मन में स्त्रियों के प्रति घृणाजनित वैराग्य और भी पक्का हो जाता है। वे संन्यासी थे और वैसा ही तो सुनना चाहते थे ताकि अपनी वैराग्य की वीणा को और ज्यादा ऊंचा उठा पाते। हो सकता है कि उस औरत ने सभी औरतों को अपने जैसा ही समझ लिया हो। चोर को सभी लोग चोर ही लगते हैं। इसी तरह मुफ्त की ज्यादा कदर नहीं होती। इसीलिए तो हिंदू धर्म में बहुतायत में वर्णन है कि ब्राह्मणों या बाबाओं के द्वारा दान लेना मान्य है। शास्त्रों में बेशक ऐसा कहा गया है कि जो बिन मांगे मिल जाए, ब्राह्मण को उसे स्वीकार कर लेना चाहिए। साथ में, शास्त्रों में ब्राह्मणों को किस्म किस्म की वस्तुएं दान करने से किस्म किस्म के लौकिक और पारलौकिक फलों की प्राप्ति बताई गई है। यह भी तो मांगना ही है, बेशक अनुशासन, सामाजिकता और चतुरता के साथ, पर इसके दुरुपयोग भी बहुत हुए हैं। यह मेरा अपना अनुभव है कि सुपात्र ब्राह्मण को दान देने से ऐसे फल मिलते हैं , पर ये ज्यादा ही बढ़ा चढ़ा कर बताए गए हैं। सीधी सी बात है कि असली ब्राह्मण ब्रह्मज्ञान प्राप्त या उसकी प्राप्ति में तत्पर रहते हैं। इससे संभव है कि उन्हें दान देने से ब्रह्मज्ञान का फल मिलता है। पढ़ने वाले की मदद करने से पढ़ने की प्रेरणा मिलती है, गाने वाले की मदद करने से गाने की प्रेरणा, और ब्रह्मज्ञान वाले की मदद करने से ब्रह्मज्ञान की प्रेरणा मिलती है। सिंपल। ब्रह्म मिल गया, मतलब सबकुछ मिल गया। अब सबकुछ मिलने को आप जिस मर्जी कल्पना में बांध लो, जैसे अनंत ब्रह्मांड का स्वामित्व मिलना, स्वर्ग के राजा का पद मिलना, पूरा राज्य मिलना या भगवान विष्णु का पद मिलना आदि आदि। ऐसी कल्पनाओं का कोई अन्त नहीं है। पर मुझे तो कर्मयोगी द्वारा ज्ञान बांटना ही सबसे अच्छा लगता है। कर्मयोगी को बदले में दान आदि या अन्य कुछ भी लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती क्योंकि उसे अपने कर्म योग से पहले ही पर्याप्त मिला होता है। राजा जनक इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं, जो राजा होने के साथ परम योगी भी थे।
इसी तरह अधिकांश पारलौकिक सिद्धियां भी सफेद झूठ या मीठे झूठ की तरह ही लगती हैं। अगर योगियों में इतनी ज्यादा अतिंद्रीय शक्तियां होती तो हमारा देश कभी भी दुश्मनों के कब्जे में न आया होता या कभी भी गरीब न रहा होता। यहां तो हर आदमी योगी होता था। अगर योगियों के पास आकाश गमन या वायु गमन की सिद्धि हुआ करती तो वे दुश्मन की सेनाओं के ऊपर उड़ कर उन्हें आसमान से ही तबाह किया करते। वास्तव में यह सिद्धि संकेतिक और अनुभवात्मक जैसी ही है, भौतिक या असली नहीं। योगी हर समय हवा को ऐसे ही पूरे ध्यान व लयबद्धता के साथ शरीर के अंदर बाहर करता रहता है, जैसे जल में रहने वाली मछली जल को। जब ऐसा करने वाली मछली को जल में विचरण करते हुए देखा जाता है, उसी तरह उसके जैसा, पर हवा के साथ करने वाले योगी को हवा में या आसमान में विचरण करते हुए समझा जा सकता है। हो सकता है कि उन्नत योगाभ्यास में ऐसा अनुभव भी होता हो पर ऐसा नहीं होगा कि वह हवा में उड़ने लगेगा। मेरे को भी बहुत सपने आते हैं कि मैं आसमान में पक्षी की तरह उड़ रहा हूं। बिल्कुल असली की उड़ान लगती है भाई, और बहुत मजा भी आता है। ऐसा मन करता है कि काश जागते समय भी ऐसी ही उड़ान संभव होती पर ऐसा नहीं होता। यह अनुभव योग और प्राणायाम के प्रभाव से होता है। पर इन अनुभवों का यह नुकसान भी होता है कि अधिकांश लोग इन्हें ही सब कुछ मानकर जागृति रूपी मुख्य लक्ष्य से भटकने से लग जाते हैं।

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demystifyingkundalini by Premyogi vajra- प्रेमयोगी वज्र-कृत कुण्डलिनी-रहस्योद्घाटन

I am as natural as air and water. I take in hand whatever is there to work hard and make a merry. I am fond of Yoga, Tantra, Music and Cinema. मैं हवा और पानी की तरह प्राकृतिक हूं। मैं कड़ी मेहनत करने और रंगरलियाँ मनाने के लिए जो कुछ भी काम देखता हूँ, उसे हाथ में ले लेता हूं। मुझे योग, तंत्र, संगीत और सिनेमा का शौक है।

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