बाबा बाबा कहते हैं

बाबा बाबा कहते हैं खुद,
वीआईपी बन रहते हैं।

बाबा गर अच्छा लगता तो,
चलते उसके कदमों पर।
छोड़ के माया मोह जगत का,
पिंड अपना खुद अर्पण कर।
छोड़ के घर छूटा करता तो,
स्मृति-रोगी बाबे होते।
भांग-नशे में डूबे रहकर,
भंगड़ भी पूजित होते।
माना बुरा पकड़ना है पर,
छोड़ना भी तो बात बुरी।
क्यों न निकट में रहकर भी हम,
सबसे रखें उचित दूरी।
दोनों का संतुलित मिश्रण ही,
असली दुनिया असली त्याग।
दोनों से दोनों मिल जाते,
असली प्रेम और विराग।
जा-जा-जा-जा कहते हैं खुद,
दुनिया में आ रहते हैं।
बाबा-बाबा कहते हैं खुद,
वीआईपी बन रहते हैं।

जगत-त्याग से शक्ति मिलती,
बात किसी से छिपी नहीं।
सिर का बोझ हटा लेने से,
राहत किसको मिली नहीं?
खाली सिर भी भार लगा जब,
पुनः बोझ को रख लेते।
बाबा बन के थक जाने पर,
पुनः गृहस्थ परख लेते।
खाली सिर की शक्ति से,
सोना या चांदी पा लेता।
बाबा कोई पूर्ण को कोई,
उसके पथ को पा लेता।
कोई भांग-चरस में रहकर,
चिलम लगाता है भर भर।
दुनिया में देखा जाता,
खाली दिमाग शैतान का घर।
स्थायी कोई स्थिति नहीं है,
दुनिया हो या मठ-मंदिर।
पुनः जगत में आना पड़ता,
खिले ना पुष्प अगर अंदर।
आईआईटी हो या आईआईएम,
नियम हमेशा रहते हैं।
बाबा-बाबा कहते हैं खुद,
वीआईपी बन रहते हैं।

दुनिया हो या हो आनन,
चक्र हमेशा चलता है।
सबको हर जीवन-हालत में,
हर इक मौका मिलता है।
मौका चूके जो दुनिया में,
वह वन में कैसे पाए।
सुविधा में न जा पाए जो,
दुविधा में कैसे जाए।
उस तक जाना बात दूर की,
इस तक भी कैसे जाए।
शक्ति से ही होता सब कुछ,
वन में ये कैसे आए।
हारे हुऎ खिलाड़ी अक्सर,
पिच को दोषी कहते हैं।
बाबा-बाबा कहते हैं खुद,
वीआईपी बन रहते हैं।
साभार~🙏 भाव सुमन ~एक आधुनिक काव्यसुधा सरस
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demystifyingkundalini by Premyogi vajra- प्रेमयोगी वज्र-कृत कुण्डलिनी-रहस्योद्घाटन

I am as natural as air and water. I take in hand whatever is there to work hard and make a merry. I am fond of Yoga, Tantra, Music and Cinema. मैं हवा और पानी की तरह प्राकृतिक हूं। मैं कड़ी मेहनत करने और रंगरलियाँ मनाने के लिए जो कुछ भी काम देखता हूँ, उसे हाथ में ले लेता हूं। मुझे योग, तंत्र, संगीत और सिनेमा का शौक है।

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